इसलिए अब जो न जाये ये दर्द संभाले, कर चले हम सब रब के हवाले। इसलिए अब जो न जाये ये दर्द संभाले, कर चले हम सब रब के हवाले।
इत्तेफ़ाक़ कहो या रब की साज़िश, इंसानियत को भी तो थोड़ा रोना था। इत्तेफ़ाक़ कहो या रब की साज़िश, इंसानियत को भी तो थोड़ा रोना था।
अपने बलबूते पर, अपनी मर्ज़ी से खुद को तराशना चाहता है; एक लड़का अपने तरीके से अपने हर पल जीना चाहता... अपने बलबूते पर, अपनी मर्ज़ी से खुद को तराशना चाहता है; एक लड़का अपने तरीके से अ...
रिश्तों को निभाना मुश्किल ही सही पर मुमकिन नहीं ! बस दिल में खोट न होना ! उनके प्रति सहृदयता होनी ... रिश्तों को निभाना मुश्किल ही सही पर मुमकिन नहीं ! बस दिल में खोट न होना ! उनके...
अब मेरी भी ज़िद है अब मेरी भी ज़िद है
अच्छा लगता है कभी गुनगुनी धूप में बैठना और कभी कभी कर देता हूँ खुद को अच्छा लगता है कभी गुनगुनी धूप में बैठना और कभी कभी कर देता हूँ खु...